माफिया भाइयों की हत्या को लेकर आयशा नूरी पहुंची सुप्रीम कोर्ट, असद के एनकाउंटर पर उठाए सवाल

Atique-Asraf Murder: प्रयागराज में 15 अप्रैल को माफिया अतीक अहमद और अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या हो गई थी. जिसको लेकर उसकी बहिन आयेशा नूरी ने सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं. आयेशा ने ये दावा किया है कि उसके दोनों भाइयों की हत्या में सरकार का हाथ है. इसके साथ ही आयशा ने इसे राज्य प्रायोजित हत्या बताया है. आइए जानते हैं कि अपने माफिया भाइयों को लेकर आयशा नूरी ने सुप्रीम कोर्ट से क्या गुहार लगाईं.

क्या हैं पूरा मामला?

बता दें कि 24 फरवरी को प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या के बाद से ही माफिया अतीक अहमद गैंग, यूपी पुलिस और एसटीएफ के निशाने पर था। उससे लगातार पूछताछ चल रही थी। उस समय साबरमती जेल से अतीक और बरेली जेल से अशरफ को प्रयागराज पुलिस पूछताछ के लिए लाई थी। 15 अप्रैल की रात 10:35 बजे कॉल्विन हॉस्पिटल परिसर में माफिया भाइयों की तीन शूटरों ने गोली मारकर हत्या कर दी।

ये भी पढ़ें: PCS ऑफिसर ज्योति मौर्या पर पति ने लगाया हत्या की साजिश का आरोप, शिकायत में WhatsApp चैट का भी जिक्र

इन तीनों शूटरों की पहचान सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य के रूप में हुई. वे पत्रकारों के वेश में कॉल्विन हॉस्पिटल परिसर में पहुंचे थे। अब इस हत्याकांड के संबंध में आयशा नूरी ने सवाल उठाया है और सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि दोनों भाइयों के साथ-साथ भतीजे असद अहमद के एनकाउंटर की भी निष्पक्ष जांच हो।

आयशा नूरी का आरोप

आयशा नूरी ने वकील सोमेश चंद्र झा और अमार्त्य आशीष शरण के जरिये से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उस याचिका में उन्होंने दोनों भाई की हत्या को क़ैद में रखने और एक्स्ट्रा-जुडिशियल किलिंग का आरोप लगाया है। उस याचिका में कहा गया है कि उच्चस्तरीय सरकारी एजेंटों के माध्यम से इस पूरी घटना की योजना बनाई गई थी। उन्होंने उसके परिवार के सदस्यों को भी मारने की योजना बनाई और उसे पूरा किया। उनका कहना हैं की पुलिस अधिकारियों को उत्तर प्रदेश सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त है। आरोप लगाया गया है कि प्रतिशोध के तहत उनके परिवार के सदस्यों को मारने, अपमानित करने, गिरफ्तार करने और परेशान करने के लिए उन्हें पूरी छूट दी गई है।

अतीक और अशरफ की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही एक जनहित याचिका की सुनवाई की है, जिसके चलते राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट देने का आदेश जारी किया गया है। कोर्ट ने इस बात पर भी सवाल उठाए हैं कि अस्पताल ले जाते समय उन्हें मीडिया के सामने क्यों पेश किया गया था, जिसके कारण उनकी हत्या को लाइव टेलीविजन पर दिखाया गया। अदालत ने वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एक आदेश जारी किया है, जिसमें 183 पुलिस एनकाउंटर में हुई मौतों की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है।

WE R NEWS के YouTube चैनल को देखने के लिए क्लिक करें