Bangladeshi Infilitration In Jharkhand: झारखंड के सीमावर्ती जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या पिछले लगभग दस वर्षों से चल रही है और अब इस समस्या ने जटिल रूप ले लिया है. इस पर उठने वाला सवाल है कि क्या झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ केवल एक सामान्य संयोग है या फिर यह राजनीतिक उपयोग का एक माध्यम है? “सेंटर फॉर आरटीआई” नामक संगठन एक दशक से भी अधिक समय से इस जटिल समस्या पर काम कर रहा है. सोशल एक्टिविस्ट जो इस संगठन से जुड़े हुए हैं, इसका दावा करते हैं कि बंगाल की जनसंख्या के परिदृश्य को छुपाना मुश्किल नहीं है. झारखंड भी अब बंगाल के पथ पर चल रहा है.
वे अग्रिमत: दावे करते हैं कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों को वैध बनाने की प्रक्रिया एक योजनाबद्ध साजिश के तहत चल रही है. इस साजिश के तहत, वे स्थानीय नेताओं के साथ-साथ कई गैर सरकारी संगठनों और सरकारी अधिकारियों के योगदान के माध्यम से इस गिरोह की संरक्षा कर रहे हैं। इसके पीछे पूरी तरह से एक नेक्सस काम कर रहा है.
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जब इन सभी प्रश्नों की जांच की गई, तो कुछ सोशल एक्टिविस्ट बांग्लादेशी घुसपैठ, लव जिहाद और लैंड जिहाद के मुद्दों पर काम कर रहे बताते हैं कि झारखंड में डेमोग्राफिक बदलाव न केवल एक संयोग है, बल्कि यह एक राजनीतिक प्रयोग भी है. झारखंड में भी बांग्लादेशी घुसपैठियों के माध्यम से राजनीतिक पैठ को मजबूत करने के साथ-साथ चुनाव जीतने की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
बांग्लादेशी घुसपैठियों से किसे लाभ होगा? ये घुसपैठ 2024 या 2029 के चुनाव की एक रणनीति कैसे हो सकती है? हर दिन झारखंड के संथाल परगना में, खासकर पाकुड़, साहिबगंज, जामताड़ा, राजमहल, गोड्डा और दुमका में अवैध रूप से बांग्लादेशी घुसपैठियों का बड़ा आंकड़ा से आगमन होता है, जो विभिन्न माध्यमों के जरिए बंगाल के मालदा, मुर्शिदाबाद और अन्य जिलों से होता है. इन बांग्लादेशी घुसपैठियों को अवैध रूप से संचालित मदरसों में निवासित किया जाता है, और उनके आधार कार्ड, वोटर कार्ड और राशन कार्ड जैसे आधिकारिक दस्तावेज़ तैयार किए जाते हैं ताकि वे वैध मान्यता प्राप्त कर सकें. इसके बाद, लव जिहाद का खेल आरंभ होता है.
आदिवासी महिलाओं को प्रेम-जाल में फंसा खेलते हैं सियासी खेल!
राज्य की भोली-भाली आदिवासी जनजाति समुदाय को लक्ष्य बनाकर, उनकी युवतियों और महिलाओं को धोखे से बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा प्रेम जाल में फंसाया जाता है या आर्थिक लाभ के वादे के माध्यम से उनसे बलात्कारपूर्वक विवाह किया जाता है. इन महिलाओं के धर्म परिवर्तन किया जाता है और उनकी जमीनों को अपने नाम पर स्थानांतरित किया जाता है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट के दायरे में आने वाली आदिवासी जनजाति समुदाय की जमीनों को अवैध रूप से खरीद-बिक्री का धोखाधड़ीपूर्वक कार्यान्वयन किया जा रहा है. पहले जहां आदिवासी जनजातियों का अधिकार था, आज वहां बांग्लादेशी घुसपैठियों का कब्जा स्थापित हो गया है.