डल झील सिकुड़ने का दावा कितना सही, जानिए एक्सपर्ट ने क्या कहा?

Dal Lake In Kashmir: कश्मीर घाटी की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाली डल लेक और वूलर झील के सिकुड़ने का दावा गलत है. विश्व प्रसिद्ध अंतरिक्ष एजेंसी NASA के द्वारा किए गए पर्यावरण विश्लेषण पर आधारित तालिका ने इस दावे को पूरी तरह सत्यापित नहीं किया है. एक प्रशासकीय विशेषज्ञ के मुताबिक, NASA ने इस दावे को तीन साल पहले की तस्वीर के आधार पर किया है, हालांकि इस समय में स्थिति में सुधार हुआ है. इस विशेषज्ञ का दावा है कि वास्तविकता में, सैटेलाइट के माध्यम से झीलों की वर्तमान स्थिति का पता लगाना संभव नहीं है.

NASA ने अभियांत्रिकी और विज्ञान के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध संगठन के रूप में अपनी ख्याति प्राप्त की है, और वे नवीनतम तकनीकी उन्नयनों का उपयोग करके दुनियाभर में अद्वितीय और आवश्यक डेटा उपलब्ध कराते हैं. हाल ही में, NASA ने अपने स्पेस ऑपरेशन लैंडसेट-8 से 23 जून 2020 को प्राप्त एक छवि का हवाला देकर जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर के डल झील और बांदीपोरा की वूलर झील के सिकुड़ने का दावा किया है. ये दावा इन झीलों में पानी के स्तर में कमी को दर्शाने वाली छवियों के आधार पर किया जा रहा है.

क्या कहना है एक्सपर्ट का?

श्रीनगर में पर्यावरण विश्लेषक एजाज रसूल के अनुसार, NASA ने एक तीन साल पुरानी तस्वीर जारी की है जिसके अनुसार श्रीनगर के झीलों के परिसर में हरियाली की बहुतायत है. वे दावा करते हैं कि इन झीलों के क्षेत्रों को सैटेलाइट इमेज के माध्यम से पहचानना मुश्किल है, क्योंकि हरियाली ने उन्हें पूरी तरह से ढँक लिया है. उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों में कश्मीर घाटी में सरकार द्वारा कई पहलुओं की गई हैं और इससे झीलों की स्थिति में सुधार हुई है. वर्तमान में, ड्रेजिंग के साथ-साथ अन्य प्रयास भी किए जा रहे हैं ताकि ये झीलें और उनका पर्यावरण और बचाव मजबूत हो सके.

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घास होने के कारण नहीं मिला होगा सही तस्वीर

संगणकीय पर्यावरण विश्लेषक एजाज के मुताबिक, कुछ स्थानों पर झील के भागों में घास की वृद्धि होती है. सैटेलाइट छवियों में, यह घास जमीन की तरह प्रतीत होती है. इस कारण से NASA को लग रहा है कि झील सिकुड़ रही है, हालांकि वास्तविकता में ऐसा बिल्कुल नहीं है. वास्तव में, डल और वूलर झील अपनी पूर्ववत रूप में हैं, और कोई परिवर्तन नहीं हुआ है.

NASA के जरिए ये किया जा रहा था दावा

नासा ने हाल ही में जारी की गई तस्वीर में दिखाया गया है कि डल झील, जो तस्वीर के निचले भाग में दाहिने तरफ स्थित है, 16वीं और 17वीं शताब्दी में मुग़ल शासकों द्वारा डिज़ाइन किए गए बग़ीचों के बीच स्थित डैम के तहत से धीरे-धीरे खींची जा रही है. इसी तस्वीर में ऊपर की ओर बायीं तरफ वूलर झील दिखाई देती है, जो एशिया की सबसे बड़ी झीलों में से एक है. नासा का दावा है कि यह झील भी सिकुड़ती जा रही है.

झीलों के सिकुड़ने पर हो चुका है सोध

विश्व भर में विभिन्न शोधों ने झीलों के सिकुड़ने के बारे में पहले से ही जानकारी प्रदान की है. एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया भर की 53 प्रतिशत झीलों और जलाशयों में पानी की स्तर में कमी आई है. हालांकि, इस अध्ययन में कश्मीर की डल और वूलर झीलों का वर्णन शामिल नहीं है. एक महीने पहले प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में, झीलों में पानी की कमी के कारण सिंचाई और पेयजल आपूर्ति पर संकट की चिंता व्यक्त की गई थी.

यह अध्ययन 1992 से 2020 तक के दौरान उपग्रहों द्वारा कैप्चर किए गए झीलों की तस्वीरों का विश्लेषण करता है. अध्ययन के अनुसार, इन झीलों में हर साल 32 गीगाटन पानी की कमी होती है. इस अध्ययन में जलवायु परिवर्तन और मानवीय निष्कर्षों के परिणामस्वरूप होने वाले पानी के उपयोग के कारणों का वर्णन किया गया है. इस अध्ययन में भारत में 30 से अधिक झीलें शामिल की गईं हैं.

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