उत्तरकाशी जिले की बनती सुरंग में फंसे हुए कर्मचारियो को करीब 7 दिन बीत चुके है. 41 जिंदगियों को बचाने की कोशिश की गयी और उनके परिजनों और अन्य मजदूरों की नाराज़गी के बीच एक नक्शा सामने आया है जो इस सुरंग को बनाने वाली कंपनी पर आम तौर पर बड़ा गंभीर आरोप लगा रहा है. अब कुछ लोग इसे कंपनी की गंभीर गलती बता रहा है तो कोई इसे घातक जानलेवा घोषित कर रहा है . देश में तत्काल में चल रहे सभी प्रोजेक्ट्स में कुछ तकनीकी बातों का खास ध्यान रखा जाता है. ऐसे कामों में मतलब पहाड़ों में सुरंग बनाते समय मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का . जिसके मुताबिक, हम 3 किलोमीटर से अधिक लंबी सभी सुरंगों में इमरजेंसी की स्तिथि समस्याओं में लोगों को बचने के लिए बाहर निकलने भागने का रास्ता जरूर होना अनिवार्य है. दूरसंचार मीडिया के अनुसार पता चला है कि इस 4.5 किलोमीटर लंबी पहाड़ी सुरंग के प्लान में भी बचकर निकलने के लिए एक रास्ता (Emergency Exit Gate) स्थापित किया जाना था, लेकिन यह रास्ता बनाया ही नहीं गया एक्जिट गेट की अहमियत को समझिए
इस तरह के संभावित मार्गों का उपयोग सुरंगों के निर्माण के बाद भी किया जाना चाहिए . ताकि सुरंग के किसी हिस्से के ढहने की समस्या का सामना न करना पड़े, भूस्खलन या किसी अन्य आपदा क्षेत्र की स्थिति के दौरान अपने वाहनों में फंसे लोगों को ऐसे रास्ते के जरिए सुरक्षित निकाला जा सके.
ऐसे हुआ खलासा
जानकारी के अनुसार सुरंग का यह नक्शा तब सामने आया जब केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने गुरुवार को प्रभावित क्षेत्र मे जाकर समस्या समझी. तब उनकी तरफ से यह प्रस्ताव आया था कि मजदूरों को दो-तीन दिनों या शुक्रवार तक बचा लिया जाएगा. हालांकि सरकार अप्रत्याशित कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए लंबी समयसीमा तय कर रही है
सरकार ने मंगाई है विदेश से नई तकनीकी मशीन 7 दिन से बिचारे मजदूर लड़ रहे ज़िंदगी और मौत की लड़ाई।