चांद की सफलता वैदिक संस्कृति की देन

Indian Culture | इसरो के चंद्रयान-3 ने चांद पर पहुंच कर इतिहास रच दिया है. इसरो के इस कदम से पूरी दुनिया में भारत की जीत का डंका बज गया है. चारों तरफ भारत की ही जीत की बाते हो रही है. वही चंद्रयान 3 की सफलता से पहले ही इसरो के अध्यक्ष ने दुनिया को भारत की प्राचीन सभ्यता से रूबरू कराया.

Indian Culture | भारत की संस्कृति पूरी दुनिया में फेमस

भारत की सभ्यता संस्कृति पूरी दुनिया के कोने कोने में फेमस है. दुनिया में हर कोई भारत की सभ्यता और संस्कृति का सम्मान भी करता है यहां तक की अब विदेशों में भी भारत की संस्कृति का पालन किया जाने लगा है. आए दिन हम देखते हैं कि दूसरे देशों से लाखों सैलानी हमारे देश में आते हैं और हमारी संस्कृति और सभ्यता के अनुसार ही खुद को ढालने लगते हैं. लेकिन हमारे वेदों और पुराणों में जो बातें कही गई है वह पूर्णतया सत्य है और उनकी तरह पालन करने से व्यक्ति कभी भी दुखी नहीं रहता वह जीवन की हर सफलता प्राप्त करता है.

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Indian Culture | धार्मिक गंथो में विज्ञान का पहले से ही वर्णन

हमारे धार्मिक गंथो में विज्ञान का पहले से ही वर्णन किया जा चुका है अगर बात करें रामचरितमानस की तो पहले से उसमें सूर्य की दूरी का मापन बताया गया है. सनातन धर्म के लोगों ने विज्ञान को आधार मानकर ही अपनी प्रथा और पद्धति को आगे बढ़ाया है. जैसे हमारी संस्कृति में कहां जाता है कि खाली बाल्टी देखकर घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए लेकिन विज्ञान में खाली चीज का मतलब नेग्टीविटी से होता है. सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला और विज्ञान पर आधारित धर्म है.

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Indian Culture | इसरो प्रमुख का स्टेटमेंट

इसी कड़ी को आगे जोड़ते हुए इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने देश और दुनिया के सामने भारत की प्राचीन संस्कृति की बात करते हुए कहा कि इंडिया ने जीरो की खोज की उसने दुनिया को शून्य का कॉन्सेप्ट दिया. भारत के महान ऋषियों ने इंफिनिटी के कॉन्सेप्ट, अलजेब्रा के कॉन्सेप्ट और नंबरों के स्क्वायर रूट के कॉन्सेप्ट की खोज की. उन्होंने इसे बहुत ही खुबसूरत पोएटिक वेस के साथ एक्सप्रेस किया. यहां तक कि बौधयाना को भी पाइथागोरस थ्योरम के बराबर माना गया.

800 ईसा पूर्व के दौरान पाइथागोरस थ्योरम तो बहुत बाद में आई. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि यह सब विचार वहां से आए होंगे। जब अरेबिक लोग बिना रुके ट्रैवल कर रहे होंगे. कई हजार साल बाद ये सभी शिक्षाएं देश में पश्चिमी वैज्ञानिकों की गई खोजों’ के रूप में वापस आईं. हालाँकि यह सब यहाँ पाया गया था और इसे यहां की भाषा (संस्कृत) में लिखा गया था.

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