भगवान Jagannath की Ratha Yatra आज से शुरू, जानिए कैसे हुई इसकी शुरुआत

Jagannath Ratha Yatra: जगन्नाथ रथ यात्रा (Ratha Yatra) हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है. साल 2023 में जगन्नाथ रथ यात्रा 20 जून यानी आज से निकाली जाएगी. इस रथ यात्रा (Ratha Yatra 2023) में भगवान जगन्नाथ (Jagannath) के भक्त शामिल होते हैं. पुरी में रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलराम (Balram) और बहन सुभद्रा (Subhadra) के साथ रथ पर सवार होकर मौसी के घर जाते हैं. तीन भव्य रथों पर पुरी (Puri) के जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir) से रथ यात्रा निकाली जाती है. जिसमें सबसे आगे बलभद्र का रथ, फिर बहन सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ शामिल होता है. इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Ratha Yatra 2023) का समापन 1 जुलाई को होगा. आइए जानते हैं कि रथ यात्रा क्यों निकाली जाती है और इसके पीछे की मुख्य वजह क्या है.

जगन्नाथ रथ यात्रा 2023 टाइमिंग | Jagannath Ratha Yatra 2023 Timing

  • मंगलवार, 20 जून 2023- पुरी में रथ यात्रा की शुरुआत- पौराणिक परंपरा के अनुसार, रथ यात्रा के पहले किन भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा अपनी मौसी के घर जाते हैं.
  • शनिवार, 24 जून 2023- हेरा पंचमी- इस कार्यक्रम के तहत पहले दिन भगवान जगन्नाथ गुंडिचा मंदिर में निवास करते हैं.
  • मंगलवार, 27 जून 2023- संध्या दर्शन- मान्यतानुसार, इस दिन भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से 10 तक भगवान विष्णु की पूजा के समान फल प्राप्त होता है.
  • बुधवार, 28 जून 2023- बहुदा यात्रा- इस दिन भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलराम अपने-अपने घर लौट आते हैं.
  • गुरुवार, 29 जून- सुनाबेसा- मंदिर वापस लौटने के बाद भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ शाही रूप धारण करते हैं.

शुक्रवार, 30 जून- आधर पना- धार्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल द्वादशी तिथि को दिव्य रथों पर एक खास पेय चढ़ाया जाता है. जो कि दूध, मेवा, पनीर और चीनी से मिलकर बनता है.

  • शनिवार, 1 जुलाई 2023- नीलाद्री बीजे- यह रथयात्रा का सबसे खास अनुष्ठान है.

जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई| Jagannath Ratha Yatra Facts

पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा को लेकर शास्त्रों में कई कथाएं प्रचलित हैं. एक कथा के मुताबिक, एक बार सुभद्रा ने भाई श्रीकृष्ण और बलराम के समक्ष द्वारिका दर्शन की इच्छा प्रकट कीं. कहा जाता है कि सुभद्रा की इस इच्छा को पूरी करने के लिए तीनों रथ पर सवार होकर द्वारका नगर भ्रमण के लिए निकले, तभी से पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत हुई. जो कि आज भी निकाली जाती है.

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रथ की क्या है खासियत | specialty of chariot

भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ नीम की पवित्र लकड़ियों से तैयार किया जाता है. विशेष बात यह है कि इन रथों को बनाने में एक भी कील का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसके अलावा रथ में किसी भी प्रकार की धातु का भी प्रयोग नहीं किया जाता है. रथ को हल्की लकड़ियों से के इस्तेमाल से तैयार किया जाता है. ताकि रथ को आसानी से खींचा जा सके.

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