सपा विधायक इरफान सोलंकी उनके भाई रिजवान सोलंकी समेत पांच लोगों पर फैसला आ चुका है। लेकिन कोर्ट के इस फैसले से कानपुर कमिश्नरेट पुलिस खुश नजर नहीं आ रही है। वह इरफान की सजा को बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट का रुख करने का मन बना चुकी है। आपको बता दें की 7 जून 2024 को आए फैसले में इरफान को 7 साल की सजा सुनाई गई थी। साथ ही 30500 का जुर्माना भी लगाया गया था जो कानपुर पुलिस को काफी नहीं लग रहा है।
जिसके चलते कानपुर पुलिस हाई कोर्ट के के पास रिव्यू पिटीशन फाइल कर सकती है। इतना ही नहीं वह उसकी सजा बढ़ाने के लिए भी हाई कोर्ट से रिक्वेस्ट करेगी। इसको लेकर इरफान सोलंकी के अधिवक्ताओं ने भी अपनी कमर कस ली है और इस मामले का हाई कोर्ट में सामना करने की तैयारी कर रहे हैं। आगजनी मामले में इरफान सोलंकी समेत पांच लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ था। जिसके चलते उन पर आईपीसी की धारा 436, 427, 147, 504, 323 में दोषी करार दिया था। आपको बता दें की कानपुर कमिश्नरेट पुलिस धारा आईपीसी की धारा 436 को लेकर हाई कोर्ट का रुख करेगी। उसका कहना है कि 436 में मिलने वाली 7 साल की सजा इरफान सोलंकी और उसके सहायकों के लिए काफी नहीं है। कम से कम 10 साल की सजा से ज्यादा सजा उसे होनी चाहिए।
कानपुर पुलिस आईपीसी की धारा 436 को आधार बनाकर हाईकोर्ट जाएगी। वह इरफान पर आए फैसले से खुश नजर नहीं आ रही जिसके चलते वह उसे बढ़वाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। वहीं इरफान के वकील ने कहा कि हाई कोर्ट जाना पुलिस और पेटीशनर का पूरा हक होता है। इरफान के अधिवक्ता का कहना है कि पेटीशनर की ओर से पुलिस भी हाईकोर्ट जा सकती है।
इरफान के अधिवक्ता ने यहां तक कह दिया कि यह बड़ी इंटरेस्टिंग बात है कि पुलिस के बड़े अधिकारी यह कह रहे हैं कि आईपीसी की धारा 436 में मैक्सिमम 10 साल की सजा है। लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि आईपीसी की धारा 436 को दो भागों में डिवाइड किया गया है। इसके पहले भाग में कम से कम 10 साल तक की सजा का प्रावधान है और उसके दूसरे भाग में आजीवन कारावास का भी प्रावधान किया गया है। अगर कोई जनहानि होती है तो 436 में आजीवन कारावास भी दिया जा सकता है। इरफान के वकील ने कहा कि पुलिस अपने डेटा को करेक्ट कर ले। उन्होने यह भी बताया कि उन्हें सर्टिफाइड कॉपी मिल गई है। हाई कोर्ट के अधिवक्ता उसका रिव्यू कर रहे हैं उसके बाद वह हाई कोर्ट भी अपनी पिटीशन को ले जाएंगे।