किसी की आधी तो किसी की एक, किस भगवान की कितनी करें परिक्रमा

मंदिर जाना, पूजा पाठ करना इसका महत्व तो सबने सुना होगा लेकिन मंदिर जाने के बाद परिक्रमा करने का अपना एक अलग महत्व होता है. किस भगवान की परिक्रमा करनी चाहिए और किसकी नहीं करनी चाहिए किस भगवान की पूरी परिक्रमा करनी चाहिए और किसकी आधी परिक्रमा करनी चाहिए इसके बारे में शायद ही आपको पता होगा. परिक्रमा के बारे में शिव पुराण में विस्तृत रूप से लिखा गया है लेकिन किस भगवान की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए, इसका पूरा वर्णन उत्तर पौराणिक काल के ग्रंथ ‘कर्म लोचन’ में लिखा गया है. परिक्रमा के लिए इस ग्रंथ में एक विशेष मंत्र भी लिखा है.

मंत्र ‘एका चण्ड्या रवे: सप्त तिस्र: कार्या विनायके। हरेश्चतस्र: कर्तव्या: शिवस्यार्धप्रदक्षिणा।।’
इस मंत्र के अनुसार देवी दुर्गा की एक परिक्रमा करनी चाहिए. वहीं सूर्य देव की सात और विघ्न विनाशक भगवान गणेश की 3 परिक्रमा करनी चाहिए. जबकि भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों की 4 और भगवान शिव की आधी प्ररिक्रमा करनी चाहिए. जिन देवताओं का नाम इस मंत्र में नहीं है उनके तीन परिक्रमा करनी चाहिए

परिक्रमा लगाने के पीछे मान्यता है कि एक बार भगवान श्री गणेश और कार्तिकेय दोनों भाइयों के बीच में एक प्रतिस्पर्धा हुई जिसमें कहा गया कि जो भी पृथ्वी की परिक्रमा सबसे पहले लगा कर आएगा वह सर्वश्रेष्ठ होगा. भगवान कार्तिकेय अपने माता-पिता का आशीर्वाद लिया और अपने मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए निकल गए लेकिन भगवान गणेश नहीं गए क्योंकि उन्हें पता था कि उनकी सवारी तो मूषक है और वह बहुत धीरे चलता है इस तरह से वह पृथ्वी की परिक्रमा नहीं लगा सकेंगे. बहुत सोचने के बाद भगवान गणेश ने एक उपाय निकाला.

भगवान गणेश ने अपने माता-पिता के चारों तरफ परिक्रमा लगा ली और उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती ने सर्वश्रेष्ठ होने का दर्जा दे दिया. परिक्रमा का पूरा वर्णन शिव पुराण में विधि पूर्वक दिया गया है.