धर्म में कई तरह के वृक्षों को पूजनीय माना जाता है जैसे केला, पीपल, बरगद, नीम, तुलसी और शमी का पेड़. लेकिन बेल के पेड़ को भी शास्त्रों के अनुसार पूजनीय माना गया है क्योंकि शिव पूजा में बेल के पत्र पुष्प फल लकडिय़ों का अलग ही महत्व होता है. धार्मिक ग्रंथो में जितना महत्व भगवान शिव का हो बताया गया है उतना ही महत्व बेल के पेड़ का बताया गया है माना जाता है की बेल के पेड़ में भगवान शिव, माता पार्वती, माता लक्ष्मी समेत कई देवी देवताओं का वास होता है.
बेलपत्र भगवान शिव को अति प्रिय होते हैं बेल के तीन पत्तों में सत, रज और तम गुणों का वास होता है. बेल के तीन पत्तों को त्रिदेव के साथ होने का प्रतीक माना जाता है. बेलपत्र में कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. यह नेगेटिविटी को दूर करने के लिए भी फायदेमंद होता है इसमें कई तरह की क्वालिटीज पाई जाती हैं.
मान्यता है कि विष पीने के बाद जब भगवान शिव अचेत हो गए थे तो उन पर कई तरह की बूटियां चढ़ाई गई थी जिनमें से बेल के पत्ते उसके फल की भी बूटी का रस भी चढ़ाया गया था. बेल के पत्ते की बूटी पीने के बाद शिव को चेतना जागी थी इसलिए बेलपत्र में शिव का निवास होता है और यह शिव को अति प्रिय भी होता है.
शिव पुराण में बेलपत्र की महिमा बताई गई है. बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति बेल के पेड़ के नीचे बैठकर स्नान करता है और भोजन करता और कराता है तो उसके सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं.