300 बीवियों वाला नवाब! अंग्रेज पकड़ने आए तो करता रह गया ये काम, दिलचस्प है कहानी

Story of Nawab Wajid Ali Shah: नवाबों के बारे में आप अलग-अलग कहानी सुनते रहते होंगे. ऐसा ही एक किस्सा अवध के नवाब वाजिद अली शाह से जुड़ा है, जिसके बारे में जानकर आप चौंक जाएंगे. इनके पुत्र का नाम बिरजिस कद्र था जो अवध का आखिरी नवाब था. वाजिद अली शाह संगीत के काफी शौकीन थे. वह अपने दरबार में अक्सर संगीत का प्रोग्राम करवाते रहते थे और उन्हें ठुमरी संगीत विधा के जन्मदाता के रूप में भी जाना जाता है. ठुमरी को कथक नृत्य के साथ गाया जाता था. नवाब अली शाह के कई सारे किस्से हैं जो संगीत से जुड़ी है. उनके द्वारा ठुमरीयां उनके द्वारा रची गई लेकिन उसमें से एक किस्सा है जो काफी मशहूर है. आपको बता दें कि होली का बड़ा उत्सव भी वह अपने दरबार में मनाया करते थे. अपने समय में नवाब वाजिद अली शाह ने कई गज़ल, राग, नगमें गढ़ी.

अवध पर अंग्रेजों का कब्जा और नवाब देश से निष्कासित

बताते चलें कि अंग्रेजों ने जब हिन्दुस्तान पर कब्ज़ा किया उसके बाद उन्होंने देश से निकलने का फैसला कर लिया. माना जाता है कि जब नवाब वाजिद अली शाह अपना देश छोड़ रहे थे उस वक्त उन्होंने “बाबुल मोरा नैहर छूटो जाय” ठुमरी गाया था. वह आशावादी था कि वह उसे यह समझाने में सक्षम होगा कि उसके राज्य का विलय गलत और अनुचित था और उसे वापस अवध बुला लिया जाएगा. इसको लेकर जब लंदन में बातचीत हो रही थी, उस समय 1857 में स्वतंत्रा का प्रथम युध्द छिड़ चुका था और अंग्रेजों ने शाह को 26 महीने के लिए फोर्ट बिलियम के अंदर एमहस्ट हाउस में नजरबंद कर दिया.

कोलकाता में बसाया नया आसियाना

इसके बाद रिहा हुए वाजिद अली शाह ने कोलकाता में रहने का फैसला किया और मोटियाबुर्ज को चुना, क्योंकि हुगली नदी की हलचल ने उनको लखनऊ के गोमती नदी की यादें ताजा कर दी. उनके चाहनेवाले को जब यह जानकारी मिली तो हजारों वफादार कोलकाता चले गए. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नवाब अली कोलकाता में 31 साल रहे और इस महानगर पर अपनी छाप छोड़ी.

300 पत्नियों के पति थे नवाब वाजिद अली शाह

बेहद आलसी नवाब के नाम से मशहूर वाजिद अली को अपने खज़ाने की कोई फिक्र नहीं थी. इतने ज्यादा आलसी थे कि जब ईस्ट इंडिया कंपनी के सिपाही उन्हें अरेस्ट करने पहुंचे तो वो किसी सेवादार का इंतजार करते रहे कि कोई आकर उनके पैरों में जूते पहनाए ताकि वो वहां से उठकर भाग पायें. सुनने में आता है कि उनकी 300 बीवियां थी, और कोलकाता में रहते समय नवाब वाजिद अली शाह ने एक साथ 27 बीवियों को तलाक दे दिया था.