कतर की अदालत ने कुछ समय पहले 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई गयी थी. उनपर कतर देश की जासूसी का आरोप लगाया था. अब भारत ने इस मामले को लेकर कतर की एक अदालत में अर्जी दाखिल की है, जिसे कतर की अदालत ने सकारना कर लिया है. कोर्ट इस मामले पर जल्द ही सुनवाई करेगा. हालांकि, सुनवाई की अगली तारीख अभी नहीं बताई गई है.अरेबियन देश कतर में आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी. सभी पर जासूसी के गंभीर आरोप लगाया गया था. वे अभी कतर की जेलों में बंद हैं. इस मामले पर विदेश मंत्रालय ने हैरानी जताते हुए अपना प्रस्ताव रखा कि वह इसका कानूनी वरणाधिकार निकालेंगे. अब इस मामले को लेकर भारत को बड़ी सफलता मिली है. भारत ने इस मामले को लेकर कतर की एक अदालत में अर्जी दाखिल भी की है. अदालत ने इसे स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई के लिए राजी हो गया है.
आखिर क्यों मिली थी फांसी की सजा?
जिन 8 ऑफिसर्स को सज़ा ए मौत सुनाई गई है वह कतर में एक प्राइवेट कंपनी मे , अल-दहरा में काम करते थे. यह कंपनी कतर के सशस्त्र बलों को ट्रेनिंग अपने देश के नजवानो को देती थी साथ ही उससे जुड़ी सर्विस मुहैया कराती थी. ऑफिसर्स पर आरोप लगा था कि वह इजराइल के लिए जासूसी करते थे. इस कंपनी में काम करने वाले सभी भारतीय नौसैनिक रिटायर हो चुके हैं. इन्हें बहुत लंबे समय से कैद में रखा गया था जिसके बाद करत की कोर्ट ने उन्हें 26 अक्टबूर को फांसी की सजा सुनाई थी.है
कौन हैं 8 पूर्व नौसैनिक जिन्हें मिली है सजा?
गृह मंत्रालय की तरफ से मिली जानकारी के अनुरूप, जिन 8 पूर्व अधिकारियों को सजा सुनाई गई है उनमें कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागे भी शामिल हैं. इन अधिकारियों की ज्यादातर उम्र 60 साल से ज्यादा है.
बताया जाता है कि जब इन आधिकारियों की गिरफ्तारी हुई थी, तब उनके परिजनों को कतर ने स्पष्ट जानकारी नहीं दी थी कि उनपर किस आधार पर आरोप तय किए गए हैं.