G7 देशों का सदस्य नहीं है भारत, फिर भी लूट ली लाइमलाइट

50वां जी-7 शिखर सम्मेलन का आयोजन इटली के अपुलिया में किया गया. भारत G7 का हिस्सा नहीं है इसके बावजूद भी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समिट का हिस्सा बने. प्रधानमंत्री मोदी के साथ देश और दुनिया की बड़ी इकोनॉमी के प्रमुख इस समिट का हिस्सा बने. विश्व की सबसे स्ट्रांग इकोनामी वाले देश अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से लेकर, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक और जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा शामिल थे. जी-7 देशों के अलावा इस समिट में दुनिया में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले कई देशों के प्रमुखों को इनविटेशन दिया गया.

इससे पहले मोदी 2023 में जापान के हिरोशिमा में आयोजित हुए जी-7 समिट का हिस्सा बने थे. 2019 और 2020 में भी भारत को इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए न्योता भेजा गया था. जबकि 2020 में कोविड-19 की वजह से इस समिट को कैंसिल कर दिया गया था.

आईएमएफ के आंकड़ों के अनुसार भारत दुनिया के 7 अमीर देशों में आता है जिस चलते जी-7 में भारत को 2019 से लेकर अबतक इनवाइट किया जा रहा है जिसके पीछे की वजह उसकी जीडीपी और पापुलेशन दोनों है.

आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी वाला देश है. पापुलेशन के मामले में यह चीन से आगे निकल चुका है. ऐसे में बात की जाए तो भारत जी-7 देशों के मुकाबले जीडीपी में चौथे नंबर है. बीते 3 सालों से विश्व में मंदी की स्थिति बनी हुई थी. भारत में तीन सालों में 7% से ज्यादा की ग्रोथ रेट के साथ खुद को सबसे बड़ी इकोनॉमी के रूप में प्रेजेंट किया है.

आपको बता दे की G7 एक 7 देश का समूह है
जिसमें फ़्रांस, कनाडा, जापान, जर्मनी, इटली, यूके और USA शामिल है जिसमें 7 बड़ी इकोनॉमी वाले देश शामिल किए गए हैं. इस ग्रुप ऑफ़ 7 के नाम से भी जाना जाता है. भारत G7 का सदस्य नहीं है लेकिन पांच सबसे बड़ी इकोनॉमी में शामिल होने के कारण भारत को कई बार इस समिट में शामिल होने का न्यौता मिल चुका है. 2020 में कोविड के चलते इसे रद्द कर दिया गया था.