विपक्ष का नेता बनने के बाद राहुल की बढ़ी जिम्मेदारियां, राह नहीं होगी आसान

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे काफी ज्यादा खास रहे. इन्होंने इस बार संसद में वह बदलकर रख दिया जो पिछले 10 साल में देखने को नहीं मिला. पिछले 10 साल में मोदी सरकार पूर्ण बहुमत की सरकार थी जिसके चलते संसद में विपक्ष अपनी भूमिका में नजर नहीं आ पाता था लेकिन इस बार के नतीजों ने एक बार फिर से विपक्ष को मजबूत स्थिति में खड़ा किया है. इसे पाने के लिए कांग्रेस को 10 सालों का इंतजार करना पड़ा. पिछले साल तक कांग्रेस के पास 54 सीटें भी नहीं थी जिसके चलते वह विपक्ष के नेता के तौर पर खुद को संसद में खड़ा नहीं कर पाया.

लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस को 99 सीटें मिली थी जिसके बाद राहुल गांधी को संसद में नेता प्रतिपक्ष के रूप में स्वीकार किया गया. काफी लंबे समय बाद राहुल गांधी को संसद ने एक संवैधानिक पद मिला. विपक्ष का नेता बनने पर राहुल गांधी को सभी तरफ से बधाइयां मिलना भी शुरू हो चुकी हैं लेकिन राहुल के लिए आगे का सफर थोड़ा सा मुश्किल साबित होने वाला है. विपक्ष के नेता के तौर पर और एक संवैधानिक पद का पालन करने के लिए राहुल गांधी को कुछ जिम्मेदारियां का पालन करना होगा.

बात करें अगर राहुल गांधी की जिम्मेदारियां की तो राहुल गांधी को पूरे गठबंधन को साथ में लेकर चलना होगा. उन्हें सिर्फ अपनी कांग्रेस पार्टी का ही नहीं बल्कि पूरे गठबंधन का एक साथ नेतृत्व करना होगा. इसके लिए राहुल गांधी को कुछ शक्तियां भी मिलेगी. आइए जानते हैं कि नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी को कौन-कौन सी शक्तियां मिलने वाली हैं-:

कई जरूरी नियुक्तियों को करने के लिए नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठे नजर आएंगे. यह फैसले दोनों की राय मिलने पर ही लिए जा सकेंगे.

चुनाव आयुक्त की नियुक्ति, केंद्रीय सतर्कता आयोग के अध्यक्ष और मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष इन सभी पदों का एक पैनल के जरिए चयन किया जाता है जिसमें प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता शामिल रहते हैं. कभी भी राहुल गांधी पीएम मोदी के साथ किसी भी पैनल में साथ नहीं बैठे.
राहुल गांधी अब भारत सरकार के सभी खर्चों की जांच करने वाली लोक लेखा समिति के अध्यक्ष होंगे. वह लगातार सरकार के कामों की समीक्षा करेंगे. वह यह भी जान सकेंगे कि सरकार ने कहां पर और कितना पैसा खर्च किया है और कहा खर्च कर रही है.

राहुल किसी भी मुद्दे पर बात करने के लिए विदेशी प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को इंडिया बुला सकते हैं और बात कर सकते हैं.

पिछले 10 सालों से विपक्षी पार्टियां ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसीयों ऊपर आरोप लगाती आ रही है अब राहुल गांधी ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों की नियुक्ति में वो अपना अहम रोल निभाएंगे.

नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद उनका पद अब कैबिनेट मंत्री के बराबर हो गया है. राहुल को केंद्रीय मंत्री के बराबर वेतन, भत्ता और भी दूसरी सुविधाएं मिलेंगी.

कैबिनेट मंत्री को जिस तरह का बंगला मिलता है उसी तरह का बंगला राहुल गांधी को भी मिलेगा. इसके साथ ही उन्हें कार, ड्राइवर और 14 लोगों का स्टाफ दिया जायेगा.

राहुल गांधी को एक सांसद के तौर पर एक लाख रुपए और 45 हजार भत्ता मिलता है, लेकिन विपक्ष का नेता बनने के बाद उन्हें मंथली सैलरी के साथ दूसरे भत्ते और 3 लाख 30 हजार रुपए मिलेंगे.