अहमदाबाद: वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने शनिवार को गुजरात उच्च न्यायालय में कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को जिस कथित अपराध के लिए दोषी ठहरा कर दो साल कैद की सजा सुनाई गई है, वह न तो गंभीर है और ना ही इसमें नैतिक क्षुद्रता निहित है. सिंघवी ने वर्ष 2019 के मानहानि मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की सजा पर रोक लगाने का अनुरोध किया. सिंघवी ने न्यायमूर्ति हेमंत प्राच्छक की अदालत में अपने आवेदन में कहा, ‘‘एक जमानती, असंज्ञेय अपराध में दो साल की अधिकतम सजा का मतलब है कि वह अपनी लोकसभा सीट ‘‘स्थायी रूप से’’ खो सकते हैं, जो कि व्यक्ति और उस निर्वाचन क्षेत्र के लिए बहुत गंभीर मामला है जिनका वह प्रतिनिधित्व करते हैं.
उच्च न्यायालय राहुल गांधी की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें ‘मोदी उपनाम’ संबंधी टिप्पणी से जुड़े एक आपराधिक मानहानि मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाने के सूरत सत्र अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है. न्यायमूर्ति हेमंत प्राच्छक ने सत्र अदालत के 20 अप्रैल के आदेश को चुनौती देने वाली गांधी की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई की.
गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी. फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. सूरत की सत्र अदालत ने कांग्रेस नेता को दोषी ठहराये जाने के फैसले पर रोक लगाने की उनकी अर्जी 20 अप्रैल को खारिज कर दी थी. गांधी इस मामले में फिलहाल जमानत पर हैं. सिंघवी ने उच्च न्यायालय से कहा कि मामले की सुनवाई प्रक्रिया को लेकर ‘‘गंभीर दोषपूर्ण तथ्यों के आधार पर’’ कांग्रेस नेता की दोषसिद्धि हुई.
उन्होंने कहा, ‘‘एक लोक सेवक या एक सांसद के मामले में, उस व्यक्ति और निर्वाचन क्षेत्र के लिए बहुत गंभीर और स्थायी परिणाम होते हैं, और इसकी कठोर परिणति फिर से चुनाव के रूप में भी होती है.’’ उन्होंने शिकायतकर्ता और भाजपा के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा सत्र न्यायालय में सजा पर रोक के लिए गांधी के आवेदन को चुनौती नहीं देने, लेकिन दोषसिद्धि पर रोक को चुनौती देने को लेकर भी सवाल उठाया जिसके कारण कांग्रेस नेता को सांसद के रूप में अयोग्य ठहराया गया.
सिंघवी ने कहा कि 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान गांधी द्वारा दिए गए कथित भाषण में शिकायतकर्ता मोदी का नाम नहीं था. गांधी के वकील ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत, शिकायतकर्ता पीड़ित व्यक्ति होना चाहिए, और इस मामले में ऐसा नहीं है. सिंघवी ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू मामले में, उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत दोषी ठहराया गया था, लेकिन उनकी सजा को निलंबित कर दिया गया था.
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे मामले में, यहां ना तो कोई गंभीर मामला है और ना ही इसमें नैतिक क्षुद्रता निहित है. इसके बावजूद सजा पर रोक नहीं लगाई गई है.’’ इससे पहले न्यायमूर्ति गीता गोपी की अदालत के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए इस मामले का उल्लेख किया गया था. न्यायमूर्ति गोपी ने बाद में खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था और फिर न्यायमूर्ति प्राच्छक को यह मामला सौंपा गया.