Right To Sleep: नींद तोड़ने वालो पर भी कर सकते है मुकदमा, जान लीजिए क्या है कानून…..

नींद को स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मस्तिष्क के लिए एक जरूरी मानक बताया गया है, मेडिकल साइंस में अनेक ऐसे प्रमाण है जो साबित करते हैं कि सही से नींद नहीं पूरी करने पर हमे डिप्रेशन, थकावट और मेमोरी लॉस जैसे परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. भारत का सुप्रीम कोर्ट भी नींद को एक मौलिक अधिकार मानता है और हर व्यक्ति को अपनी नींद पूरी करने का कानूनी अधिकार देता है.

Right To Sleep:अनुच्छेद 21′ में दिया गया हैं नींद पूरी करने का अधिकार…

आपकों पता होना चाहिए की भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में नींद को एक मौलिक अधिकार की तरह शामिल किया गया है, जिसके मुताबिक भारत के हर एक व्यक्ती को अपनी नींद को पुरा करने का अधिकार है अगर आप गलती से भी किसी के नींद में खलल डाल रहे है तो सावधान हो जाएँ वह आप पर मुक़दमा भी कर सकता है.

Right To Sleep:कब मिला नींद का अधिकार क्या है कहानी…

2011 में योग्य गुरु बाबा रामदेव की एक रैली के दौरान दिल्ली पुलिस के पुलिसकर्मियों ने सो रहे प्रदर्शनकारियों पर एक्शन लिया था जब ये मामला कोर्ट में गया तब जज साहब ने क्रांतिकारी फैसला सुनाते हुए नींद पुरा करने को मौलिक अधिकार घोषित कर दिया था, इस मामले पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर शांति भंग करने का आरोप भी लगाया था जिसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोई नींद में कैसे किसी की शांति भंग कर सकता है.

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Right To Sleep:विदेशों में बहुत पहले से है ऐसे अधिकार…

अमेरिका और जापान जैसे विदेश में ऐसे अधिकार बहुत पहले से मौजूद है.जापान और अमेरिका के ऑफिसेज में स्लीपिंग पॉड लगा हुआ होता है जो आपको ऑफिस में सोने की सुविधा देता है. अमेरिका में तो चुप रहने का भी मौलिक अधिकार है .

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