Scholarship Scam : फर्जी इंस्टिट्यूट, फर्जी ऑफिसर और फर्जी छात्र, अल्पसंख्यक मंत्रालय का बड़ा घोटाला

Scholarship Scam | अल्पसंख्यक मंत्रालय के सामने आए घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी दी गई है. 2007 से लेकर 2022 तक 22 हजार करोड़ की छात्रवृति दी जा चुकी हैं. पहली क्लास से लेकर पीएचडी में पढ़ने वाले छात्रों, मदरसों से लेकर माइनॉरिटी संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र – छात्राओं को स्कॉलरशिप दी जाती है

अल्पसंख्यक मंत्रालय ने स्कॉलरशिप घोटाले की जांच अपने स्तर पर करने के बाद घोटाले का पुख्ता सबूत सामने आए है. जिसके बाद अल्पसंख्यक मंत्रालय ने इस पूरे घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी. माइनॉरिटी संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को अल्पसंख्यक मंत्रालय सलाना 4000 से 25000 की छात्रवृत्ति देता है. मंत्रालय के अनुसार, अब तक स्कॉलरशिप योजना पर 2007 से 2022 तक 22 हजार करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप दी गई है. यह पहली क्लास से लेकर पीएचडी में पढ़ने वाले छात्रों मदरसों से लेकर माइनॉरिटी संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को दी जाती है.

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Scholarship Scam | क्या है पूरा मामला

अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से दी जाने वाली करोड़ों की स्कॉलरशिप में फर्जी संस्थान और फर्जी छात्रों के द्वारा घोटाला हुआ. ये घोटाला 2007 से लेकर 2022 तक चला, जिसमें 22000 करोड़ के स्कॉलरशिप में गबन का मामला सामने आया. जिसके चलते अल्पसंख्यक मंत्रालय ने NCAER से पहले 21 प्रदेशों के 1572 माइनॉरिटी संस्थानों की जांच करवाई. जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए.

जांच में सामने आया कि 830 संस्थान में तो सिर्फ कागजों पर चल रहे थे यानी जांच में 53% इंस्टीट्यूट फेंक निकले. जिसमे 144.83 करोड़ का घोटाला सामने आया है. घोटाले की स्थिति को देखते हुए अल्पसंख्यक मंत्रालय 1 लाख 79 हजार 500 बचे हुए माइनोरिटी संस्थानों की भी जांच करा रही है.

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मंत्रालय ने अभी 830 फर्जी संस्थानों में से 144 करोड़ के घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी है बचे हुए इंस्टीट्यूट की जांच मंत्रालय अपने स्तर पर करवा रहा है उसे जांच में अगर कोई भी गड़बड़ी सामने आती है तो वह उनकी जांच भी सीबीआई को सौंप देगा. मंत्रालय द्वारा उन 830 इंस्टिट्यूट का अकाउंट फ्रीज कर दिया गया है. इन फर्जी 830 इंस्टिट्यूट में लगभग 229 अफसर भी फेक निकले. इन फर्जी इंस्टिट्यूट के ऑफिसर में 62 छत्तीसगढ़ में, 99 राजस्थान में, 68 असम में, कर्नाटक में 64, उत्तराखंड में 60, मध्यप्रदेश में 40, 29 ऑफिसर बंगाल में और उत्तर प्रदेश में 44 के अधिकारी फर्जी निकले.

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Scholarship Scam | कैसे हुआ घोटाला

स्कॉलरशिप की राशि को फर्जी ढंग से फेंक अकाउंट और फेंक नाम पर ट्रांसफर करने का 2008 से गोरखधंधा चल रहा था. जिसे करने में इंस्टीट्यूट के नोडल ऑफिसर, डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर अधिकारी, बैंक के ऑफिसर और कर्मचारी साथ ही राज्य स्तर के अफसर भी शामिल थे.

जिसमे फेंक आधार कार्ड, फोन नंबर, इंस्टीट्यूट का इस्तेमाल करके करोड़ों की राशि का गबन हुआ है. एक मोबाइल नंबर पर 22 बच्चों को रजिस्टर्ड किया गया था, इस मामले की जब झांसी तो पता चला कि एक ही व्यक्ति के पास बच्चे एक कक्षा में कैसे पड़ सकते हैं .
साथ ही साथ बिना हॉस्टल में रहे 1.32 लाख बच्चे हस्ती न जाने वाले छात्रों को मिलने वाली स्कालरशिप उठा रहे थे. सामान्य विधार्थी को सालाना 4000 रुपये और हॉस्टल में रहने वाले विद्यार्थी को सालाना ₹9000 की स्कालरशिप दी जाती है.

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