हिंदू धर्म की आस्था का प्रतीक ऋषिकेश भगवान शिव की पवित्र नगरी में से एक है माना जाता है कि यहां स्वयं भगवान शिव अपने भक्तों को दर्शन देते हैं यहां के मंदिर और घाट आस्था के साथ सुंदरता का प्रतीक है यहां स्थित कई प्राचीन मंदिर अपनी कई कहानियां बयां करते है लाखों की संख्या में श्रद्धालु इन मंदिरों में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं और बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं आईए जानते हैं ऋषिकेश के ऐसे ही कुछ मंदिरों के बारे में जहां पर स्वयं बाबा शिव भक्तों को दर्शन देते हैं.
ऋषिकेश के मणिकूट पर्वत पर स्थित राम झूला में बना बाबा भूतनाथ का मंदिर काफी प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव माता सती से शादी करने के लिए बारात लेकर निकले तब उनके ससुर राजा दक्ष ने उन्हें सभी बारातियों के साथ इसी मंदिर में ठहराया था. इसी मंदिर में सभी देव, दानव, गंधर्व, भूत, प्रेत और जानवरों ने बारातियों के रूप में एक रात गुजारी थी उसी दिन से इस मंदिर का नाम भूतनाथ मंदिर पड़ गया.
ऋषिकेश से करीब 25 किलोमीटर की दूर भगवान शिव का प्राचीन और भव्य नीलकंठ महादेव मंदिर स्थित है. भोलेनाथ ने समुद्र मंथन के समय निकले कालकूट विष को अपने गले में धारण कर लिया था. जिसके कारण उन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है. विष धारण करने के बाद वह स्थान की तलाश करने लगा जहां उन्हें ठंडक मिल सके. घूमते-घूमते भोलेनाथ मणिकूट पर्वत पहुंचे जहां उन्हें वैसी ही शीतलता मिली जैसी वह चाहते थे. करीब 60,000 वर्ष तक यहां पर महादेव ने समाधि लगाई थी. जिसके कारण इस स्थान को श्री नीलकंठ महादेव मंदिर के नाम से में जाना जाता है.
ऋषिकेश चंद्रेश्वर नगर के चंद्रभागा में बना चंद्रेश्वर महादेव का मंदिर एक प्रसिद्ध सिद्धपीठ है. प्राचीन में चंद्रमा को जब श्राप मिला था. तब चंद्रमा ऋषिकेश के इस स्थान पर श्राप से मुक्ति के लिए पहुंचे और गंगा के किनारे करीब 14,500 वर्षों तक उन्होंने शिवजी की तपस्या की. देवों के देव महादेव ने चंद्रमा की तपस्या से प्रसन्न होकर एक बूढ़े ब्राह्मण के रूप में उन्हें दर्शन दिए और श्राप से मुक्त करवाया. जिसके बाद स्वामी विवेकानंद जी ने सन 1890 में यहां भगवान शिव की घोर तपस्या की.
ऋषिकेश के गंगा नगर में स्थित सोमेश्वर महादेव का मंदिर जहां सतयुग में ऋषि सोम ने यहां घोर तप किया था, ऋषि सोम की तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें कई वरदान भी दिए. इस स्थान को भगवान शिव ने सोमेश्वर नाम दिया.
ऋषिकेश आमबाग की आईडीपीएल कॉलोनी में स्थित वीरभद्र महादेव का मंदिर भी अपना एक रोचक इतिहास समेटे हुए है. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने इसी मंदिर में वीरभद्र का क्रोध शांत किया था तभी से भगवान शिव को वीरभद्र शिवलिंग के रूप में यहां विराजमान है. इसे वीरभद्र मंदिर के नाम से जाना जाता है. जो लगभग 1300 साल पुराना है.