अंतरिक्ष में नहीं है हवा फिर कैसे बात करते हैं एस्ट्रोनॉट

Space | हमारी ज़िंदगी को और भी सुविधाजनक बनाने के लिए अंतरिक्ष में कई वैज्ञानिक प्रयोग किए जाते हैं कई सैटेलाइट स्थापित की जाती हैं. लेकिन क्या आपको पता है अंतरिक्ष में वायुमंडल नहीं है जिसके कारण वहां पर ऑक्सीजन नहीं पाई जाती है. पृथ्वी की तरह हम वहां पर बात नहीं कर सकते हमारी आवाज किसी और के कानों तक नहीं पहुंच सकती. तो फिर हम वहां पर बात कैसे करते होंगे कैसे अपने एक्सपेरिमेंट को सक्सेस बनाते होंगे क्योंकि बिना कन्वर्सेशन के हमें कुछ कैसे समझ में आ सकता है.

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Space | अंतरिक्ष में भेजे गए है खास मिशन

आपको बता दे की अंतरिक्ष की जानकारी पाने के लिए दुनिया भर से कई मिशन अंतरिक्ष में भेजे गए हैं और कई अभी भी भेजे जा रहे हैं. जिनमें से सबसे खास मिशन है नासा का आर्टेमिस मिशन और भारत का गगनयान मिशन. लेकिन अंतरिक्ष में ग्रेविटी ना होने के कारण एस्ट्रोनॉट्स को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वैक्यूम होने की वजह से एस्ट्रोनॉट एक दूसरे से बात तक नहीं कर पाते एक दूसरे की आवाज तक नहीं सुन पाते.

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Space | लेते हैं विशेष तकनीक का सहारा

दरअसल बात करने के लिए एस्ट्रोनॉट एक विशेष तरह की तकनीक का सहारा लेते हैं जिस तकनीक का नाम है रेडियो वेव्स. जिसका इस्तेमाल करके एस्ट्रोनॉट एक दूसरे से बात करते हैं. वह वायरलेस डिवाइस के जरिए एक दूसरे को सिग्नल भेजते हैं और वही सिग्नल साउंड में परिवर्तित हो जाते हैं. हालांकि स्पेसक्राफ्ट के लिए किसी भी तरह की डिवाइस की जरूरत नहीं होती है. क्योंकि स्पेसक्राफ्ट में हवा होती है जिसकी वजह से उसे पर वैक्यूम का प्रभाव नहीं पड़ता है.

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