केंद्र Vs दिल्ली CM की जंग पर SC का बड़ा फैसला! कही ये बात

दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का मुद्दा तुल पकड़ता जा रहा है. इस बीच आज इले लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ ने अहम फैसला सुनाया है. ZEE News की एक खबर के अनुसार, सीजेआइ (CJI) ने कहा है कि साल 2008 में संवैधानिक पीठ के द्वारा कुछ मसलों को तय किया गया था. पीठ ने आगे कहा कि हम 2009 में दिए गए अशोक राय के विचारों से सहमत नहीं हैं, जिसकमें कि जस्टिस भूषण ने कहा कि था कि सेवाओं पर राज्य सरकार का अधिकार बनता है. बता दें कि उस वक्त जस्टिस भूषण ने कहा था कि इस पर दिल्ली सरकार का अधिकार नहीं बनता है. आइए जानते हैं कि सीएम और केंद्र के अधिकारों के जंग पर सुप्रीम कोर्ट का क्या फैलसा आया है.

केंद्र के हितों को ध्यान में रखकर लेना होता बड़ा फैसला

आपको बता दें कि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उसमें आर्टिकल 239 AA का जिक्र किया गया है. जिसके मुताबिक दिल्ली सरकार को विधानसभा का अधिकार प्राप्त है, लेकिन फिर भी केंद्र सरकार के हितों को ध्यान में रखकर कोई अहम फैसला लिया जाता है. सीजेआई ने कहा कि संघवाद और लोकतंत्र संविधान का मूल है. लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्रशासन की शक्ति जनता द्वारा चुनी गई सरकार के हाथों में होती है. ऐसे में अगर अधिकारियों को ऐसा लगेगा कि चुनी हुई सरकार का उस पर नियंत्रण नहीं है तो उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है.

प्रशासनिक सेवाओं को नियंत्रित करेगी दिल्ली सरकार

सीजेआई ने कहा कि अगर सरकार का अधिकारियों पर नियंत्रण नहीं होगा तो सरकार पॉलिसी को कैसे लागू करेगी. कोर्ट का मानना है जो विषय दिल्ली सरकार के अधीन आते हैं उसके अधिकारियों पर नियंत्रण दिल्ली सरकार का होना चाहिए. कोर्ट ने तय किया कि प्रशासनिक सेवाओं पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण होगा. सिर्फ उन सेवाओं पर नियंत्रण नहीं होगा जो सेवाएं पुलिस, जमीन, पब्लिक आर्डर से जुड़ी हैं. बाकी सब प्रशासनिक सेवाओं पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण होगा.