कैल्शियम की प्रचूर मात्रा है इस दाल में, सिर्फ छिलके के सेवन से हड्डियां होंगी स्ट्रॉंग

बचपन से ही हम छोटे बच्चों को दूध पिलाते हैं। जिससे बच्चों की हड्डियां मजबूत रहे और बच्चे को संपूर्ण आहार मिलें। आम जन जीवन में हम कैल्शियम, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट अपनी खाने से ही प्राप्त करते हैं। दालों में कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए बचपन में भी छोटे बच्चे को दाल का पानी पिलाया जाता है। जिससे उसका विकास पूर्ण ढंग से हो सके। बच्चे को संपूर्ण पोषण भी प्राप्त होता है।

बुजुर्गों की सलाह

इतिहास गवाह है कि पुरातन काल से ही घर में जब भी छोटा बच्चा आता है ,तो उसके घर की बूढ़ी दादी हमेशा अपनी बहू को यही सलाह देती है कि बच्चे को अपना दूध पिलाएं जिससे से उसे कैल्शियम की कमी नहीं होगी और छोटे बच्चे का संपूर्ण आहार वही होता है।

अरहर की दाल

अब तक हम सभी दूध को ही कैल्शियम का स्रोत मानते हैं। अरहर की दाल मैं भरपूर मात्रा में कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है। अरहर की दाल को जब भिगोकर रखा जाता है ।तो इसका छिलका उतरने लगता है, जिसे हम अलग करके पशुओं को डाल देते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अरहर के छिलके में सबसे ज्यादा कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है।जो हड्डियों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है।

अरहर के छिलके में कैल्शियम की मात्रा

तुरई के दाल के छिलके में दूध के मुताबिक सबसे ज्यादा कैल्शियम देखने को मिलता है जैसे कि– सौ ग्राम अरहर के बीज में-652 मिलीग्राम कैल्शियम होता है। दूध में 120 मिलीग्राम होता है।

कैल्शियम की कमी होने के नुकसान

कैल्शियम की कमी होने पर शरीर में थकान, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, गले की परेशानियां जकड़ लेती हैं। शरीर घातक बीमारियों से भी संक्रमित हो सकता है जैसे-याददाश्त चली जाना, कई बार हमारी टांगों में झनझनाहट महसूस होना, नाखूनों का जल्दी टूटते रहना, घुटनों में हमेशा दर्द रहना और अवसाद भी हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति को दिन में 800 से 1000 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है। अरहर की दाल के छिलके भी आपके शरीर में कैल्शियम की पूर्ति करते हैं और जिससे हड्डियां मजबूत बनी रहती है।