रुला देगी योगी के जीवन की ये कहानी,ये है अजय बिष्ट से योगी आदित्यनाथ बनने की यात्रा!!

Yogi Life Story: आज हम अजय उर्फ योगी आदित्यनाथ के जीवन की वो कहानी बतायेंगे जो आपको जरूर भावुक कर देगी और सोचने पर मजबूर कर देगी कि क्या इंसान समाज के लिए अपना सब कुछ बना बनाया त्याग कर सकता है, तो चलिए बताते हैं, साल 1996 जगह पंचूर गांव उत्तराखंड, छः महीने से घर से लापता अजय अपने घर आते हैं। बेटे के वापस आने की बात सुनकर माँ की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। मगर जैसे ही माँ की नजरों के सामने बेटा आता है उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती है।

Yogi Life Story | यदा यदा ही योगी

बेटे ने आज जीन्स की पैंट नहीं बल्कि भगवा चोला डाला हुआ है, फिर घुटा हुआ है। दोनों कानों में बड़े बड़े कुंडल और हाथ में खप्पर लिए वो अपनी ही माँ से भिक्षा मांग रहा है। वरीष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी अपनी किताब यदा यदा ही योगी में लिखते हैं, अजय घर के बाहर पहुंचे और भिक्षा के लिए आवाज लगाई। घर की मालकिन आवाज सुनकर दरवाजे पर आई तो उन्हें अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ और जहाँ थी वहीं स्थिर हो गई।

Yogi Life Story | जब पहली बार संन्यासी बनकर मां से मिले

बस मौन, मुँह खुला तो लेकिन शब्द नहीं फूटे आँखों से आंसुओं की धारा बह निकली। जो सत्य साक्षात सामने खड़ा था उसे देखते हुए भी यकीन नहीं हो पा रहा था। माँ के सामने उनका बेटा युवा सन्यासी के वेश में खड़ा था। बेटे को इस हाल में देखकर माँ अवाक रह गई। तभी आदित्यनाथ बन चुके अजय ने कहा माँ दीक्षा दीजिये, माँ ने खुद को संभालना और कहा बेटा ये क्या हाल बना रखा है, घर में क्या कमी थी जो भीख मांग रहा है।

Yogi Life Story | भिक्षा मांगते देख मां ने क्या कहा?

योगी ने कहा माँ संन्यास मेरा धर्म है। एक योगी की भूख भिक्षा से ही मिटेगी। आप भिक्षा में जो कुछ देंगी वहीं मेरे मनोरथ को पूरा करेगा। माँ को बेटे के इस रुख पर अब भी यकीन नहीं हो रहा था। उन्होंने कहा बेटा तुम पहले घर के अंदर आओ लेकिन योगी आदित्यनाथ ने मना कर दिया और कहा नहीं मा मैं बिना भिक्षा लिए ना तो घर के अंदर आ सकता हूँ और ना ही यहाँ से जा सकता हूँ।

Yogi Life Story | बेटे की जिद के आगे हार गई मां

जो कुछ भी हो मुझे दे दीजिये, इसके बाद ही मैं यहाँ से जाऊंगा। माँ बेटे की जिद के आगे हार गयी, घर के अंदर गयी और थोड़े चावल और पैसे लाकर आदित्यनाथ के पात्र में डाल दिया। भिक्षा पाने के बाद आदित्यनाथ पीछे मुड़े और वापस चल दिए। आँखों में आंसू लिए माँ घर के दरवाजे पर खड़े होकर अपने बेटे को जाते हुए देखती रही।

Yogi Life Story | योगी के जीवन का सबसे बड़ा ट्विस्ट

विजय त्रिवेदी ने इस घटना का जिक्र करते हुए किताब में लिखा है कि दीक्षा लेते ही योगी आगे चल दिए आवाज अब भी गूंज रही थी पहाड़ों के करीब पहुंचते बादलों तक “अलखनिरंजन” सूरज बादलों में छिपने पहाड़ के पीछे जाने की कोशिश करता दिखा। वैसे भी उसका उजाला माँ के लिए बेमायने हो गया था।

Yogi Life Story | योगी का बचपन

आज के योगी आदित्यनाथ के बचपन का नाम अजय सिंह बिष्ट था। अजय ने 1989 में ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर मीडिएट कॉलेज से इंटर की पढ़ाई पूरी की। इसी साल पौड़ी के कोटद्वार के डॉक्टर पितांबर दयाल बर्थवाल हिमालयन राजकीय स्नातकोत्तर महाविध्यालय में बीएससी में ऐडमिशन ले लिया। 1992 में यहाँ से भी पास हो गए।

Yogi Life Story | संन्यासी कैसे बने योगी?

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में फिजिक्स से एमएससी में एडमिशन लिया पर पूरा नहीं किया और घर से चले गए। छः महीने तक घरवालों को पता ही नहीं चला कि अजय कहा है। पिता आनंद सिंह उन्हें हर जगह खोजने गए जहाँ अजय के होने की संभावना थी, लेकिन अजय नहीं मिले। फिर किसी ने बताया उनका बेटा गोरखपुर के गोरखनाथ पीठ में है और अब वो सन्यासी बन चुका है।

Yogi Life Story | बुल्डोजर बाबा नाम कैसे पड़ा?

आनंद सिंह को दुख तो बहुत हुआ लेकिन वो भी कुछ नहीं कर सके। 15 फरवरी 1994 को गोरक्षापीठाधीश्वर अनंत अवैद्यनाथ महाराज ने पूरे विधि विधान से उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। इसके बाद योगी आदित्यनाथ के जीवन का उद्देश्य बदल गया। वो आगे चलकर पहले गोरखपुर के सांसद बने और फिर उत्तर प्रदेश के सीएम बने जिन्हे अब बुल्डोजर बाबा के नाम से जाना जाता है। योगी आदित्यनाथ के जिंदगी के इस किस्से पर आपकी क्या राय हैं? हमें कमेंट सेक्शन में बताइए.