Train Halala Tea: अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में एक ट्रेन यात्री की रेलवे कर्मचारी से कहासुनी हो गई और इन सबका कारण था हलाल सर्टिफाइड चाय, दरअसल रेलवे यात्री ने जब चाय मंगवाया तो उसके टी बैग पे हलाल सर्टिफाइड का टैग लगा था जिसे देखकर यात्री भड़क गया और कर्मचारी से पूछने लगा की आखिर ये हलाल है क्या और मैं सावन जैसे पवित्र महीने में इसे कैसे पी सकता हु.
इस कहासुनी के दौरान उस रेलवे कर्मचारी ने उस यात्री को समझने की कोशिश भी की और उसे टी बैग पर ग्रीन डॉट दिखा कर बताया की ये चाय पूरी तरह से वेज है और पीने के लिए बिलकुल ठीक है, इंटरनेट पर ये वीडियो काफी वायरल हुआ है, ट्वीटर पे जहां एक समुदाय ने उस यात्री की तारीफ़ की है तो वो दूसरे लोगो ने रेलवे कर्मचारी की समझदारी को लेकर उसे सराहा है .
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अगर हलाल सर्टिफिकेट की बात करे तो ये सर्टिफिकेट भी एक फूड स्टैंडर्ड सर्टिफिकेट होता जैसे की FCCAI है, दरअसल ट्रेन पे सर्व की जाने वाली ये चाय इंटरनेशनल प्रोडक्ट थी जिसके एक्सपोर्ट के किए उसपे हलाल सर्टिफाइड लिखा होना जरूरी होता है, ऐसा इसलिए भी है क्युकी मिडिल ईस्ट में जितने भी मुस्लिम देश है वहा सिर्फ हलाल सर्टिफाइड फूड आइटम ही चलते है ,जो उनके धार्मिक मान्यताओं का ख्याल रखते है.
क्या है हलाल प्रमाणित?
साल 1974 में हलाल प्रमाणिकता की शुरुआत हुई थी. यह साल 1993 तक सिर्फ स्लॉटर मांस उत्पादों पर लागू था, लेकिन बाद में अन्य खाद्य उत्पादों, दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों समेत कई चीजों के लिए किया जाने लगा. हलाल का वास्तविक मतलब यह है कि इस्लामी कानून का पालन करते हुए उत्पाद को तैयार किया गया है. हालांकि साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट में पेटिशन डाली गई थी और मांग की गई थी कि हलाल सर्टिफिकेशन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा.