हमने अक्सर देखा होगा कि हमारे घर में या फिर हमारे आसपास व्रत त्योहारों में प्याज और लहसुन या उससे बना भोजन नहीं खाया जाता है. इसके पीछे का कारण पूछने पर शायद कोई इसका उत्तर ढंग से नहीं दे पता होगा. आइए हम बताते हैं की व्रत और त्यौहार पर लहसुन प्याज से बना हुआ खाना क्यों नहीं खाना चाहिए.
हर किसी ने तीन तरह के भोजन के बारे में सुना होगा जिसमें से एक होता है सात्विक भोजन और दूसरा होता है तामसिक भोजन और तीसरा होता है राजसिक भोजन. इस तरह का भोजन करने वाले लोगों के अंदर अलग-अलग टाइप की क्वालिटीज होती हैं.
सात्विक भोजन वह होता है जिसमें घी, दूध, हरी सब्जियों को शामिल किया जाता है लेकिन इसमें लहसुन या प्याज का इस्तेमाल न किया जाता है. माना जाता है कि सात्विक भोजन करने वाले लोगों का दिमाग काफी ज्यादा शांत और तेज होता है. इन लोग के आसपास हमेशा पॉजिटिव एनर्जी जैसा एक सर्कल बना होता है इसलिए हमने अधिकतर सनातनी और साधुओं को देखा होगा कि वह सात्विक भोजन ही ग्रहण करते हैं.
वहीं तामसिक भोजन में लहसुन और प्याज का इस्तेमाल किया जाता है. तामसिक भोजन के बारे में कहा जाता है कि इस तरह का भोजन करने वालों का ब्लड सर्कुलेशन या तो काफी ज्यादा तेज हो जाता है या फिर काफी ज्यादा स्लो होता है. तामसिक भोजन करने वाले लोगों में गुस्सा और अहंकार काफी ज्यादा पाया जाता है. ऐसे लोग थोड़े से आलसी प्रवृत्ति के होते हैं यही कारण है कि अक्सर व्रत और त्योहारों में तामसिक भोजन करने को मना किया जाता है.
राजसिक भोजन में नमक, मिर्च, मसाले, अंडे, मछली, मांस और मदिरा सभी तरह की चीजें आती हैं. शास्त्रों की माने तो इस तरह का भोजन करने वाले मन के काफी ज्यादा चंचल होते हैं. इनके जीवन में स्थिरता बहुत कम देखने को मिलती है.