Africa’s Rift Know Why: अफ्रीका महाद्वीप में एक दरार का आकार निरंतर बढ़ रहा है. इस दरार के प्रकट होने के बाद, देश के दो भागों में विभाजित होने का खतरा और भी अधिक बढ़ गया है. मार्च महीने की शुरुआत में, लगभग 56 किलोमीटर लंबी दरार दिखाई दी थी, लेकिन जून तक उस दरार की लंबाई और भी बढ़ चुकी है.
लंदन की भूवैज्ञानिक सोसायटी के अनुसार, लाल सागर से मोज़ाम्बिक तक करीब 3,500 किलोमीटर तक एक बड़ा घाटी नेटवर्क फैला हुआ है. यह पूरा क्षेत्र धीरे-धीरे एक महत्वपूर्ण दरार में परिवर्तित हो रहा है. सूचना के अनुसार, इस दरार में एक नया महासागर उत्पन्न होने की संभावना है.
क्या है दरार के पीछे की असली वजह
इस दीर्घ-चौड़ी दरार के उदय के साथ, विश्वभर में एक प्रश्न उठने लगा है कि क्या अफ्रीका दो भागों में विभाजित हो जाएगा? अगर ऐसा होता है, तो यह कब तक हो सकता है? इस प्रश्न के उत्तर की खोज के लिए भू-वैज्ञानिकों ने एकत्रित हो गए हैं और उन्होंने टेक्टोनिक प्लेटों का अध्ययन आरंभ कर दिया है.
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नासा के आर्थिक ऑब्जर्वेटरी के अनुसार, पूर्वी अफ्रीका में सोमालियाई टेक्टोनिक प्लेट न्युबियन टेक्टोनिक प्लेट से पूर्व की ओर खिसक रही है. सोमालियाई प्लेट को सोमाली प्लेट और न्युबियन प्लेट को अफ्रीकी प्लेट भी कहा जाता है.
भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, सोमालियाई और न्युबियन प्लेटें अरब प्लेट से अलग हो रही हैं. लंदन की जियोलॉजिकल सोसाइटी ने अपने अध्ययन में खोजा है कि ये प्लेटें इथियोपिया में एक वाई-आकार की दरार प्रणाली बना रही हैं.
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर एमेरिटस केन मैकडोनाल्ड ने बताया है कि वर्तमान में दरार बनने की गति धीमी है, लेकिन इसका खतरा बहुत बड़ा है. भविष्य में इसका असर कितनी दूर तक फैल सकता है, यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है.
क्या होगा जब अफ्रीका बंटेगा
जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन के मुताबिक, केन्या और इथियोपिया के बीच पृथ्वी के कमजोर और गर्म होने के कारण पूर्वी अफ्रीकी क्षेत्र में दरारों की अधिक संभावना है. इस तापमान के कारण, पृथ्वी की चट्टानों में खिंचाव और फ्रैक्चर हो रहा है.
नासा के अर्थ ऑब्जर्वेटरी ने खोजा है कि अफ्रीका के विभाजन के परिणामस्वरूप एक समुद्री दरार उत्पन्न हो सकती है. इस नए भूभाग में सोमालिया, इरिट्रिया, जिबूती, इथियोपिया के साथ-साथ केन्या, तंजानिया और मोजाम्बिक के पूर्वी हिस्से शामिल हो सकते हैं.
दरारों के बारे में मीथ भी हैं
यदि अफ्रीकी महाद्वीप टूटता है, तो भविष्य के वर्षों में क्या होगा, इस विषय पर वैज्ञानिकों के बीच चर्चा हो रही है. वैज्ञानिक एबिंगर बताते हैं कि पृथ्वी में दरारें पैदा करने वाली प्राकृतिक शक्तियाँ आगे चलकर धीमी हो सकती हैं. ऐतिहासिक दस्तावेजों में इस तरह के कई मामले मौजूद हैं. सोमालियाई और न्युबियन प्लेटों के अलग होने की संभावना कम भी हो सकती है.
एबिंगर ने यह भी दावा किया है कि इतिहास में पहले सक्रिय और फिर शुष्क दरारें देखी गई हैं. उनके अनुसार, अफ्रीका भी दरार के खतरे से बच सकता है.